ख्वाजा गरीब नवाज र0 अ0 के करामात
ख्वाजा गरीब नवाज र0 अ0 के करामात Khwaja Moinuddin Chishti History in Hindi – Garib Nawaz History in Hindi ख्वाजा गरीब नवाज र0 अ0 के करामात हजरत ख्वाजा मुईनुद्दीन र0 अ0 वह रूहानी और मजहबी पेशवा थे जिनका अदना सा इशारा तकदीर बदलने के लिए काफी था। भला इस मक्बूल बारगााह की करामतों का भी शुमार (गिनती) हो सकता है ? आपकी जिन्दगी का एक-एक वाकिया करामत है। आपने जो करना चाहा, कर दिषाया और जो इरादा किया हो गया, आपकी दुआ बेरोक अर्श तक पहुंचती थी। इधर मुंह से निकली उधर कुबूलियत का दर्जा हासिल हुआ। आपसे बेशुमार करामतें जाहिर हुई, जिनमें से कई पहले लिखी जा चुकी है और कई यहां लिखी जा रही है। (1) हजरत ख्वाजा कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी र0अ0 फरमाते है कि मैं जब तक हुजूर गरीब नवाज र0 अ0 की खिदमत में रहा, कभी आपको नाराज होते नही देखा। एक रोज ख्वाजा साहब र0 अ0 के साथ मैं और एक दूसरा खादिम शेख अली र0 अ0 बाहर जा रहे थे कि अचानक रास्ते में एक शख्स शेख अली र0 अ0 का दामन पकड़ कर बुरा भला कहने लगा। हजरत पीर व मुर्शिद ने उस शख्स से झगड़ा करने की वजह मालूम की। उस ने जवाब दिया यह मेरा कर्जदार है और क...